क्रिकेट (Cricket)

भारत में क्रिकेट की लोकप्रियता अपने चरम पर है। इस खेल ने 1983 में भारतीय क्रिकेट टीम द्वारा पहला विश्व कप जीतने के बाद से देशभर में अपार प्रशंसा प्राप्त की। क्रिकेट का इतिहास भारत में अंग्रेजों के शासनकाल से शुरू हुआ, लेकिन समय के साथ यह भारतीय संस्कृति और जड़ों से इतनी गहराई से जुड़ गया कि आज यह खेल एक तरह से राष्ट्रीय धर्म बन चुका है।
क्रिकेट की लोकप्रियता को और बढ़ावा मिला जब 2008 में इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) का शुभारंभ हुआ। आईपीएल ने न केवल भारतीय क्रिकेट को एक नया आयाम दिया, बल्कि इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रमुखता दी। इस टूर्नामेंट में देश-विदेश के खिलाड़ी और टीमों की भागीदारी ने इसे एक वैश्विक मंच पर ला खड़ा किया। आईपीएल ने युवाओं को क्रिकेट में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया और भारतीय क्रिकेट के आर्थिक पहलू को भी मजबूत किया।
भारतीय क्रिकेट टीम ने पिछले कुछ दशकों में कई ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की हैं। 2007 में टी20 विश्व कप की जीत और 2011 में वनडे विश्व कप की जीत ने देश में क्रिकेट प्रेमियों के दिलों में एक अलग जगह बनाई। इसके अलावा, 2021 में ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज जीतने जैसी घटनाएं भारतीय क्रिकेट के समृद्ध इतिहास का हिस्सा बन चुकी हैं।
क्रिकेट के प्रति भारतीयों की दीवानगी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि स्टेडियम हो या टीवी स्क्रीन, हर जगह दर्शकों की भीड़ उमड़ती है। क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि एक भावना है जो देश की विविधता में एकता का प्रतीक है। भारत में यह खेल हर उम्र के लोगों के बीच समान रूप से लोकप्रिय है, और यह कहना गलत नहीं होगा कि क्रिकेट भारतीय समाज के ताने-बाने में गहराई से बुना हुआ है।
फुटबॉल (Football)

हालांकि क्रिकेट भारत का सबसे पसंदीदा खेल है, फुटबॉल भी तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। पिछले कुछ दशकों में, फुटबॉल ने भारतीय खेल प्रेमियों के बीच अपनी एक स्थायी जगह बना ली है। फुटबॉल के विकास की कहानी भारतीय फुटबॉल टीम की सफलताओं और इंडियन सुपर लीग (ISL) की स्थापना से शुरू होती है।
इंडियन सुपर लीग (ISL) की स्थापना 2013 में हुई थी और यह भारतीय फुटबॉल के विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई। ISL ने न केवल घरेलू खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका दिया, बल्कि विदेशी खिलाड़ियों और कोचों को भी भारतीय फुटबॉल के साथ जुड़ने का अवसर प्रदान किया। इसके चलते भारतीय फुटबॉल के खेल स्तर में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है।
भारतीय फुटबॉल टीम की प्रमुख उपलब्धियों में 1951 और 1962 में एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक शामिल हैं। इसके अलावा, 1964 में एशियन कप में उपविजेता बनना भी भारतीय फुटबॉल के इतिहास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। हाल के समय में, भारतीय फुटबॉल टीम ने सैफ चैंपियनशिप और नेहरू कप जैसे टूर्नामेंटों में भी अपनी छाप छोड़ी है।
फुटबॉल की बढ़ती लोकप्रियता के पीछे की वजहों में युवाओं का इस खेल की ओर बढ़ता रुझान और मीडिया द्वारा फुटबॉल मैचों का व्यापक प्रसारण शामिल हैं। स्कूलों और कॉलेजों में फुटबॉल को प्रोत्साहन देने के लिए कई नई योजनाएं और कार्यक्रम भी शुरू किए गए हैं। इन सभी प्रयासों का नतीजा है कि फुटबॉल भारत के 10 सबसे पापुलर sports में से एक बन गया है।
कबड्डी (Kabaddi)

कबड्डी एक पारंपरिक भारतीय खेल है जो न केवल ग्रामीण इलाकों में बल्कि शहरी क्षेत्रों में भी अत्यधिक लोकप्रिय है। इस खेल की जड़ें भारतीय संस्कृति में गहराई से बसी हुई हैं, और यह सदियों से भारतीय समुदायों में मनोरंजन और शारीरिक फिटनेस का एक प्रमुख स्रोत रहा है। कबड्डी का खेल सरल नियमों पर आधारित है, जिसमें दो टीमें एक दूसरे के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करती हैं। इसमें खिलाड़ी एक-दूसरे के कोर्ट में जाकर अधिक से अधिक खिलाड़ियों को छूने का प्रयास करते हैं और बिना पकड़े वापस लौटने की कोशिश करते हैं।
हाल के वर्षों में, प्रो कबड्डी लीग (Pro Kabaddi League) के उदय ने इस खेल को एक नई पहचान दिलाई है। इस लीग ने कबड्डी को एक पेशेवर मंच प्रदान किया है, जहां खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने कौशल का प्रदर्शन कर सकते हैं। प्रो कबड्डी लीग ने न केवल खेल की लोकप्रियता में वृद्धि की है, बल्कि इसे एक व्यावसायिक रूप भी दिया है। इस लीग के माध्यम से कबड्डी को एक नया दर्शक वर्ग मिला है, जो इस खेल के रोमांच और रणनीति से प्रभावित है।
कबड्डी खेलना न केवल मनोरंजक है, बल्कि इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी हैं। यह शारीरिक शक्ति, सहनशक्ति और त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता को बढ़ाता है। इसके अलावा, यह खेल मानसिक संतुलन और अनुशासन को भी प्रोत्साहित करता है। कबड्डी खेलने से शरीर की लचीलापन और समन्वय में सुधार होता है, जिससे यह एक संपूर्ण व्यायाम के रूप में भी जाना जाता है।
भारत के 10 सबसे पापुलर sports में कबड्डी का विशेष स्थान है। इसकी बढ़ती लोकप्रियता और स्वास्थ्य लाभों को देखते हुए, यह खेल भारतीय समाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
बैडमिंटन (Badminton)

भारत में बैडमिंटन की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है, खासकर पिछले कुछ वर्षों में। इस खेल ने भारतीय खेल प्रेमियों का ध्यान आकर्षित किया है, विशेष रूप से पीवी सिंधु और साइना नेहवाल जैसे खिलाड़ियों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उल्लेखनीय सफलताओं के बाद। बैडमिंटन के विकास का इतिहास, इसके प्रमुख खिलाड़ी और खेल के नियम इस खेल को और भी रोचक बनाते हैं।
बैडमिंटन का इतिहास भारत में काफी पुराना है। यह खेल ब्रिटिश राज के दौरान यहां आया और धीरे-धीरे भारतीय समाज का हिस्सा बन गया। 1934 में बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन की स्थापना के साथ ही इस खेल ने वैश्विक पहचान हासिल की। भारत में बैडमिंटन एसोसिएशन की स्थापना 1936 में हुई और तब से यह खेल निरंतर प्रगति कर रहा है।
भारतीय बैडमिंटन के प्रमुख खिलाड़ियों की बात करें तो, साइना नेहवाल और पीवी सिंधु ने इस खेल को नई ऊंचाईयों पर पहुंचाया है। साइना नेहवाल ने 2012 के लंदन ओलंपिक्स में कांस्य पदक जीतकर भारतीय बैडमिंटन में नया अध्याय जोड़ा। वहीं, पीवी सिंधु ने 2016 के रियो ओलंपिक्स में रजत पदक और 2019 में वर्ल्ड चैंपियनशिप जीतकर भारत को गर्व महसूस कराया। इन खिलाड़ियों की उपलब्धियों ने युवा खिलाड़ियों को प्रेरित किया है और बैडमिंटन को भारत के 10 सबसे पापुलर sports में से एक बना दिया है।
बैडमिंटन के नियम सरल होते हैं, जिससे इसे समझना और खेलना आसान होता है। यह खेल 20×44 फीट के कोर्ट पर खेला जाता है, और इसमें दो या चार खिलाड़ी होते हैं। खिलाड़ियों का लक्ष्य शटल को नेट के ऊपर से पार करके विरोधी के कोर्ट में गिराना होता है। अंक तब मिलते हैं जब विरोधी खिलाड़ी शटल को सही तरीके से वापस नहीं कर पाता। एक सेट 21 अंकों का होता है, और मैच तीन सेटों का होता है।
इस प्रकार, बैडमिंटन न केवल भारत में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है, बल्कि यह एक ऐसा खेल बन गया है जिसमें भारतीय खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफलता प्राप्त कर रहे हैं। बैडमिंटन की बढ़ती लोकप्रियता और खिलाड़ियों की उपलब्धियां इसे भारत के 10 सबसे पापुलर sports में शामिल करती हैं।
हॉकी (Hockey)

हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल है और इसका एक समृद्ध इतिहास है। भारतीय हॉकी टीम ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं, जो इसे भारत के 10 सबसे पापुलर sports में से एक बनाती हैं। भारतीय हॉकी के स्वर्ण युग की शुरुआत 1928 के ओलंपिक खेलों से हुई, जब भारतीय पुरुष टीम ने अपना पहला स्वर्ण पदक जीता था। इसके बाद, भारतीय टीम ने 1932, 1936, 1948, 1952, 1956, 1964 और 1980 के ओलंपिक खेलों में भी स्वर्ण पदक जीते, जो कुल मिलाकर आठ स्वर्ण पदक होते हैं। यह उपलब्धियां भारतीय हॉकी को विश्व स्तर पर एक प्रमुख स्थान दिलाती हैं।
ओलंपिक खेलों में भारतीय हॉकी टीम की सफलता ने देश में इस खेल को अत्यधिक लोकप्रिय बना दिया। 1950 और 1960 के दशक में, भारतीय हॉकी खिलाड़ियों का प्रदर्शन विश्व स्तरीय माना जाता था। ध्यानचंद जैसे महान खिलाड़ियों ने इस खेल को नए आयाम दिए और भारतीय हॉकी टीम को विश्व की सबसे बेहतरीन टीमों में से एक बना दिया। ध्यानचंद की खेल में महारत और उनकी शानदार खेल शैली ने उन्हें “हॉकी का जादूगर” के रूप में प्रसिद्ध कर दिया।
हालांकि, पिछले कुछ दशकों में भारतीय हॉकी की स्थिति में कुछ उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं। विभिन्न कारणों से प्रदर्शन में गिरावट आई, लेकिन फिर भी यह खेल भारतीय खेल प्रेमियों के दिलों में अपनी विशेष जगह बनाए हुए है। वर्तमान में, भारतीय हॉकी टीम पुनः अपने पुराने गौरव को हासिल करने की दिशा में प्रयासरत है। विभिन्न अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में भारतीय टीम का प्रदर्शन सुधार पर है और 2016 के रियो ओलंपिक और 2020 के टोक्यो ओलंपिक में टीम ने सम्मानजनक प्रदर्शन किया।
भारतीय हॉकी फेडरेशन और सरकार द्वारा खेल के विकास के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं, जिसमें युवा खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करना और आधुनिक सुविधाएं प्रदान करना शामिल है। इन प्रयासों का मुख्य उद्देश्य भारतीय हॉकी को पुनः विश्व स्तर पर स्थापित करना है। इस प्रकार, हॉकी न केवल भारत का राष्ट्रीय खेल है बल्कि भारत के 10 सबसे पापुलर sports में भी शामिल है।
टेनीस (Tennis)

भारत में टेनीस की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है, विशेष रूप से युवा पीढ़ी के बीच। टेनीस ने न केवल खेल प्रेमियों का ध्यान खींचा है, बल्कि कई प्रतिभाशाली खिलाड़ियों ने अपनी पहचान भी बनाई है। भारतीय टेनीस खिलाड़ियों में लिएंडर पेस, महेश भूपति और सानिया मिर्जा के नाम प्रमुख रूप से लिए जाते हैं, जिन्होंने अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय टेनीस का मान बढ़ाया है।
लिएंडर पेस, जिनका करियर तीन दशकों से अधिक का है, ने डबल्स और मिक्स्ड डबल्स में कई ग्रैंड स्लैम खिताब जीते हैं। उनकी और महेश भूपति की जोड़ी को टेनिस की दुनिया में “इंडियन एक्सप्रेस” के नाम से जाना जाता था। इस जोड़ी ने कई प्रतिष्ठित टूर्नामेंट जीते और भारतीय टेनीस को वैश्विक मंच पर नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। महेश भूपति भी डबल्स और मिक्स्ड डबल्स में ग्रैंड स्लैम खिताब जीतने वाले पहले भारतीय रहे हैं। उनकी सफलता ने भारत के युवाओं को टेनीस में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया है।
सानिया मिर्जा, जो भारतीय महिला टेनीस की अग्रणी खिलाड़ी हैं, ने भी कई अंतर्राष्ट्रीय खिताब जीते हैं। उनकी उपलब्धियों ने न केवल महिला खिलाड़ियों को टेनीस में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया है, बल्कि उन्होंने महिला सशक्तिकरण के लिए भी एक मिसाल कायम की है। सानिया मिर्जा ने सिंगल्स और डबल्स में कई खिताब जीते हैं और वे भारत की सबसे सफल महिला टेनीस खिलाड़ियों में से एक मानी जाती हैं।
इन खिलाड़ियों की सफलता की कहानियां और उनकी कठिन मेहनत ने टेनीस को भारत में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है। यह खेल अब भारत के 10 सबसे पापुलर sports में से एक है और इसकी लोकप्रियता दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। टेनीस के प्रति भारतीय युवाओं का बढ़ता रुझान और उनकी उपलब्धियों ने इस खेल को नए आयाम दिए हैं।
वॉलीबॉल (Volleyball)

वॉलीबॉल भारत के सबसे लोकप्रिय खेलों में से एक है, खासकर स्कूलों और कॉलेजों में। यह खेल न केवल शारीरिक फिटनेस को बढ़ावा देता है बल्कि टीमवर्क और रणनीतिक सोच को भी प्रोत्साहित करता है। वॉलीबॉल के खेल में दो टीमें होती हैं, जिनमें प्रत्येक टीम में छह खिलाड़ी होते हैं। खेल का उद्देश्य गेंद को नेट के ऊपर से विरोधी टीम के कोर्ट में भेजना होता है, इस प्रकार कि विरोधी टीम उसे सही तरीके से वापस न भेज पाए।
वॉलीबॉल के नियम सरल और स्पष्ट हैं। खेल की शुरुआत सर्व के साथ होती है, जो एक टीम के खिलाड़ी द्वारा नेट के पीछे से गेंद को मारकर की जाती है। खेल के दौरान, हर टीम को तीन बार तक गेंद को छूने की अनुमति होती है, इससे पहले कि वे उसे विरोधी टीम के कोर्ट में भेजें। खेल का मुख्य उद्देश्य विरोधी टीम की गलती से अंक अर्जित करना है। यदि गेंद जमीन पर गिर जाती है, बाहर चली जाती है, या टीम तीन बार से अधिक गेंद को छूती है, तो विरोधी टीम को एक अंक मिलता है।
भारत में वॉलीबॉल की प्रमुख लीग्स में ‘प्रो वॉलीबॉल लीग’ सबसे महत्वपूर्ण है, जिसने खेल को एक नई पहचान दी है। इस लीग ने भारतीय वॉलीबॉल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक मंच प्रदान किया है और युवा खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर दिया है। इसके अलावा, विभिन्न राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय टूर्नामेंट भी नियमित रूप से आयोजित किए जाते हैं, जो खेल के विकास और प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
वॉलीबॉल का खेल न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह खेल खिलाड़ियों में अनुशासन, समर्पण और टीम भावना को बढ़ावा देता है। इस प्रकार, वॉलीबॉल भारत के 10 सबसे पापुलर sports में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, और इसकी लोकप्रियता दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।
बास्केटबॉल (Basketball)

बास्केटबॉल भारत में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है, खासकर युवाओं के बीच। इसका इतिहास भारत में ब्रिटिश राज के दौरान शुरू हुआ जब मिशनरियों और शिक्षकों ने इसे स्कूलों और कॉलेजों में पेश किया। तब से, बास्केटबॉल ने एक लंबा सफर तय किया है और अब यह भारत के सबसे पापुलर खेलों में से एक बन गया है।
एनबीए (National Basketball Association) का प्रभाव भारतीय बास्केटबॉल पर बहुत बड़ा है। एनबीए ने न केवल भारतीय खिलाड़ियों को प्रेरित किया है, बल्कि भारतीय दर्शकों के बीच भी बास्केटबॉल के प्रति रुचि बढ़ाई है। 2019 में, एनबीए ने मुंबई में अपने पहले प्री-सीजन गेम का आयोजन किया, जो भारत में बास्केटबॉल के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना गया। इसके अलावा, एनबीए अकादमी इंडिया के उद्घाटन ने भारतीय युवाओं को उच्च स्तर की कोचिंग और संसाधन प्रदान किए हैं, जिससे उन्हें वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धा करने का मौका मिला है।
भारत में बास्केटबॉल के विकास को बढ़ावा देने के लिए कई राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय टूर्नामेंट आयोजित किए जाते हैं। इन टूर्नामेंटों में विभिन्न आयु समूहों और स्तरों के खिलाड़ी भाग लेते हैं, जिससे खेल की जड़ों को मजबूती मिलती है। भारतीय बास्केटबॉल महासंघ (Basketball Federation of India) भी खेल को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न पहलें कर रहा है, जैसे कोचिंग क्लीनिक, प्रशिक्षण शिविर और स्कूल प्रतियोगिताएं।
भारत के कई प्रमुख शहरों में बास्केटबॉल कोर्ट्स का निर्माण और स्कूलों में खेल को अनिवार्य बनाने से भी बास्केटबॉल को बढ़ावा मिला है। इसके अलावा, सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से बास्केटबॉल की पहुंच और लोकप्रियता में वृद्धि हुई है।
संक्षेप में, बास्केटबॉल भारत के सबसे पापुलर खेलों में से एक बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। एनबीए के प्रभाव, राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय टूर्नामेंटों, और भारतीय बास्केटबॉल महासंघ की पहलों ने इस खेल के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
एथलेटिक्स (Athletics)

एथलेटिक्स, जिसे ट्रैक और फील्ड के रूप में भी जाना जाता है, दौड़, कूद और थ्रो जैसी विभिन्न गतिविधियों में शामिल होता है। भारत में एथलेटिक्स का एक समृद्ध इतिहास है और यह भारत के 10 सबसे पापुलर sports में से एक है। भारतीय एथलीट्स ने विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है, जो देश की खेल संस्कृति को और मजबूती प्रदान करता है।
भारतीय एथलेटिक्स में कई प्रमुख उपलब्धियाँ हैं, जैसे मिल्खा सिंह और पी.टी. उषा का नाम जो किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। मिल्खा सिंह, जिन्हें ‘फ्लाइंग सिख’ के नाम से भी जाना जाता है, ने 1958 के कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीता था। पी.टी. उषा, ‘पय्योली एक्सप्रेस’ के नाम से मशहूर, ने 1984 के लॉस एंजिल्स ओलंपिक में चौथा स्थान प्राप्त किया था।
भारत में एथलेटिक्स का विकास भी तेजी से हो रहा है। भारतीय एथलेटिक महासंघ (AFI) ने इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जैसे की प्रशिक्षण सुविधाओं का विस्तार और प्रतिभाशाली एथलीट्स की पहचान करना। राष्ट्रीय स्तर पर, भारतीय एथलेटिक्स चैंपियनशिप और फेडरेशन कप जैसी प्रतियोगिताएँ नियमित रूप से आयोजित की जाती हैं, जो नए उभरते हुए एथलीट्स के लिए एक मंच प्रदान करती हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, भारतीय एथलीट्स ने एशियन गेम्स, कॉमनवेल्थ गेम्स और ओलंपिक में भी अपनी पहचान बनाई है। हाल ही में, नीरज चोपड़ा ने टोक्यो 2020 ओलंपिक में भाला फेंक (जैवेलिन थ्रो) में स्वर्ण पदक जीतकर भारत का नाम रोशन किया। यह उपलब्धि भारतीय एथलेटिक्स के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और इस खेल के भविष्य के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
इस प्रकार, एथलेटिक्स न केवल भारत के 10 सबसे पापुलर sports में से एक है, बल्कि यह युवा पीढ़ी को प्रेरित करने और राष्ट्रीय गौरव को बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
टेबल टेनिस (Table Tennis)

टेबल टेनिस, जिसे पिंग पोंग के नाम से भी जाना जाता है, भारत में एक प्रमुख खेल है, विशेष रूप से स्कूल और कॉलेज स्तर पर इसकी व्यापक लोकप्रियता है। यह खेल तेज गति, ध्यान केंद्रित करने की क्षमता और त्वरित प्रतिक्रिया की मांग करता है, जिससे यह युवा खिलाड़ियों के बीच काफी लोकप्रिय है। भारत में टेबल टेनिस के नियम अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार ही होते हैं, जिसमें दो या चार खिलाड़ी रैकेट और हल्की गेंद का उपयोग करके एक टेबल पर खेलते हैं।
टेबल टेनिस के नियमों के अनुसार, प्रत्येक खिलाड़ी को बारी-बारी से गेंद को रिसीव करने और विरोधी के कोर्ट में वापस भेजने का प्रयास करना होता है। एक गेम 11 अंकों तक चलता है, और सर्विस हर दो अंक पर बदलती है। गेम जीतने के लिए खिलाड़ी को कम से कम दो अंकों का अंतर रखना होता है।
भारत ने अंतरराष्ट्रीय टेबल टेनिस में कई महत्वपूर्ण खिलाड़ी दिए हैं। अचंता शरथ कमल और मनिका बत्रा जैसे खिलाड़ी न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भी अपनी पहचान बना चुके हैं। अचंता शरथ कमल ने कई एशियाई खेलों और कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत का प्रतिनिधित्व किया है और कई पदक जीते हैं। वहीं, मनिका बत्रा ने भी अपनी असाधारण खेल शैली से देश का नाम रोशन किया है।
भारत में टेबल टेनिस का इतिहास भी काफी समृद्ध है। 1926 में पहली बार अंतरराष्ट्रीय टेबल टेनिस महासंघ (ITTF) की स्थापना हुई थी, और इसके तुरंत बाद भारत में इस खेल ने अपनी पहचान बनानी शुरू कर दी थी। भारतीय टेबल टेनिस महासंघ (TTFI) ने 1937 में अपनी स्थापना की, और तब से ही इस खेल को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की गई हैं। आज, टेबल टेनिस भारत के 10 सबसे पापुलर sports में से एक है, और यह खेल लगातार विकास और लोकप्रियता की ओर अग्रसर है।