भारत एक विविधता से भरा देश है जहाँ विभिन्न संस्कृतियाँ और परंपराएँ हैं। यहाँ के क्षेत्रीय त्यौहार इसी विविधता का प्रतीक हैं, जो विभिन्न समुदायों की सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक मान्यताओं को दर्शाते हैं। इन त्यौहारों का महत्व न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यधिक होता है। आइए कुछ प्रमुख क्षेत्रीय त्यौहारों का विस्तृत विवरण जानें:
छठ पूजा (Chhath Puja)

छठ पूजा मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण त्यौहार है, जो सूर्य देव और उनकी पत्नी उषा को समर्पित होता है। यह चार दिनों का त्योहार है जिसमें भक्त कठिन उपवास रखते हैं और नदियों या तालाबों में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते हैं। इसके चार प्रमुख चरण होते हैं:
- नहाय-खाय (Nahay Khay): इस दिन श्रद्धालु पवित्र स्नान करते हैं और शुद्ध भोजन करते हैं।
- लोहंडा और खरना (Lohanda and Kharna): इस दिन पूरे दिन उपवास के बाद भक्त संध्या को विशेष भोजन ग्रहण करते हैं।
- संध्या अर्घ्य (Sandhya Arghya): तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाता है।
- उषा अर्घ्य (Usha Arghya): चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर उपवास तोड़ा जाता है।
हॉर्नबिल महोत्सव (Hornbill Festival)

हॉर्नबिल महोत्सव नागालैंड में मनाया जाने वाला एक प्रमुख सांस्कृतिक उत्सव है, जो नागा जनजातियों की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करता है। यह उत्सव हर साल दिसंबर में होता है और इसमें विभिन्न जनजातियाँ अपनी पारंपरिक वेशभूषा, नृत्य, और संगीत प्रस्तुत करती हैं। इस महोत्सव का नाम भारतीय हॉर्नबिल पक्षी के नाम पर रखा गया है और इसमें लोकगीत, जनजातीय खेल, और हस्तशिल्प की प्रदर्शनी होती है। यह महोत्सव जनजातीय समुदायों के बीच पारस्परिक संवाद और सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा देने का प्रयास है।
हेमिस महोत्सव (Hemis Festival)

हेमिस महोत्सव लद्दाख के हेमिस मठ में मनाया जाता है और यह गुरु पद्मसंभव को समर्पित है, जिन्हें भगवान बुद्ध का अवतार माना जाता है। यह त्योहार तिब्बती कैलेंडर के पांचवें महीने में आता है और इसमें रंग-बिरंगे मुखौटे पहनकर नृत्य और नाट्य प्रस्तुतियां होती हैं। इस महोत्सव में चाम नृत्य और थंका (एक धार्मिक रेशमी चित्रकला) की प्रदर्शनी शामिल होती है। श्रद्धालु मानते हैं कि हेमिस महोत्सव में भाग लेने से आध्यात्मिक पुण्य और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं।
पोंगल (Pongal)

पोंगल तमिलनाडु का प्रमुख फसल उत्सव है, जिसे हर साल जनवरी में चार दिनों तक धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार सूर्य देव को समर्पित होता है और अच्छी फसल के लिए उनका धन्यवाद किया जाता है। पोंगल चार दिनों के अलग-अलग चरणों में मनाया जाता है:
- भोगी पोंगल (Bhogi Pongal): पहले दिन पुराने वस्त्र और बेकार सामान जलाए जाते हैं।
- सूर्य पोंगल (Surya Pongal): दूसरे दिन सूर्य देव की पूजा होती है और नए चावल से पोंगल (खीर जैसा व्यंजन) बनाकर अर्पित किया जाता है।
- मट्टू पोंगल (Mattu Pongal): तीसरे दिन गायों और बैलों की पूजा की जाती है।
- कानुम पोंगल (Kanum Pongal): चौथे दिन परिवार और मित्रों के साथ मिलकर पिकनिक और सामाजिक कार्यक्रम होते हैं।
बिहू (Bihu)

बिहू असम का प्रमुख फसल उत्सव है, जो साल में तीन बार मनाया जाता है: रोंगाली बिहू (बैसाखी के समय), काती बिहू (अक्टूबर में), और भोगाली बिहू (जनवरी में)। रोंगाली बिहू सबसे महत्वपूर्ण है और इसे नए साल की शुरुआत के रूप में भी मनाया जाता है। इस दौरान असमिया लोग पारंपरिक वेशभूषा पहनकर बिहू नृत्य और संगीत प्रस्तुत करते हैं। खेतों में अच्छी फसल की कामना की जाती है और विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं।
ओणम (Onam)

ओणम केरल का प्रमुख त्योहार है, जो अगस्त-सितंबर में मनाया जाता है। यह त्योहार राजा महाबली की वापसी के रूप में मनाया जाता है, जिन्हें माना जाता है कि उनके शासनकाल में राज्य में समृद्धि और खुशहाली थी। ओणम के दस दिन के उत्सव में पुष्पों की रंगोली (पुक्कलम), नौका दौड़ (वल्लम कली), पारंपरिक नृत्य (कथकली और तिरुवाथिरा), और विशेष दावत (ओणम साद्या) शामिल होती हैं। यह उत्सव केरल की सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक एकता को दर्शाता है।
लोहरी (Lohri)

लोहरी पंजाब का प्रमुख फसल उत्सव है, जो जनवरी में मकर संक्रांति की पूर्व संध्या पर मनाया जाता है। इस दिन लोग आग के चारों ओर इकट्ठा होकर गाने गाते हैं और तिल, गुड़, मूंगफली, और मक्का के दाने अग्नि में अर्पित करते हैं। यह त्यौहार नई फसल की कटाई और सर्दियों के अंत का प्रतीक है। लोग पारंपरिक पंजाबी भांगड़ा और गिद्दा नृत्य करते हैं और मिठाइयाँ बाँटते हैं।
गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi)

गणेश चतुर्थी महाराष्ट्र का प्रमुख त्यौहार है, जो भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह दस दिनों का उत्सव होता है जिसमें गणेश जी की मूर्तियों की स्थापना और पूजा की जाती है। दसवें दिन इन मूर्तियों को जल में विसर्जित किया जाता है। यह त्यौहार सामूहिक उत्सव, भजन, नृत्य, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का प्रतीक है
बिसु मेला (Bisu Mela):

त्रिपुरा का बिसु मेला प्रमुख त्योहार है जो नए साल के रूप में मनाया जाता है। इस मेले को स्थानीय लोग अपनी परंपराओं, संस्कृति, और एकता का प्रदर्शन करने के लिए मनाते हैं। यहां पर पारंपरिक नृत्य, संगीत, और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं।
वैशाखी (Vaisakhi):

पंजाब में वैशाखी एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो फसल के कटाई का उत्सव माना जाता है। इस त्योहार में लोग भांगड़ा और गिद्दा नृत्य करते हैं। विशेष पूजा-अर्चना के साथ-साथ, गुरुद्वारों में लंगर भी चलाया जाता है।
नवरात्रि (Navratri):

गुजरात और अन्य क्षेत्रों में नवरात्रि एक बड़ा ही धार्मिक त्योहार है, जो नौ दिनों तक चलता है। इसमें लोग देवी दुर्गा की पूजा करते हैं और गरबा और डांडिया नृत्य का आनंद लेते हैं।
दुर्गा पूजा (Durga Puja):

पश्चिम बंगाल का दुर्गा पूजा भारत में एक प्रमुख त्योहार है। इसे पंचमी से दशमी तक मनाया जाता है और इस अवसर पर मंदिरों में शानदार पंडाल सजाए जाते हैं।
थाईपुसम (Thaipusam):

थाईपुसम तमिलनाडु और केरल में मनाया जाने वाला एक धार्मिक उत्सव है जो भगवान मुरुगन को समर्पित है। इसमें श्रद्धालु कठिन तपस्या करते हैं।
मकर संक्रांति (Makar Sankranti):

मकर संक्रांति भारत भर में मनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध त्योहार है। इसमें सूर्य देव की पूजा की जाती है और लोग पतंग उड़ाते हैं।
राम नवमी (Ram Navami):

राम नवमी उत्तर भारत में मनाया जाने वाला हिन्दू त्योहार है जो भगवान राम के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भजन-कीर्तन और पूजा-अर्चना की जाती है।
करमा पूजा (Karma Puja)

करमा पूजा झारखंड, उड़ीसा, और छत्तीसगढ़ में मनाया जाने वाला एक धार्मिक त्योहार है। इसमें प्रकृति और वन देवता करम राजा की पूजा की जाती है।