दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे (1995)
1995 में रिलीज़ हुई ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ ने भारतीय सिनेमा में एक नई लहर पैदा की। यह फ़िल्म राज और सिमरन की दिल को छू लेने वाली प्रेम कहानी पर आधारित है, जो यूरोप की खूबसूरत वादियों में एक-दूसरे से मिलते हैं और प्यार में पड़ जाते हैं। इस फ़िल्म की कहानी, निर्देशन और संगीत ने इसे बॉलीवुड की टॉप romantic movies में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है।
शाहरुख़ ख़ान और काजोल ने राज और सिमरन के किरदार में अपनी अदाकारी से दर्शकों का दिल जीत लिया। शाहरुख़ ख़ान के रोमांटिक हीरो की छवि ने उन्हें बॉलीवुड का ‘किंग ऑफ रोमांस’ बना दिया, जबकि काजोल की सरलता और मासूमियत ने सिमरन के किरदार को अमर कर दिया। ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ न केवल शाहरुख़ और काजोल के करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुई, बल्कि यह फ़िल्म आज भी नए दर्शकों को आकर्षित करती है।
इस फ़िल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अभूतपूर्व सफलता हासिल की और भारतीय सिनेमा के इतिहास में सबसे लंबी चलने वाली फ़िल्म बन गई। मुंबई के मराठा मंदिर थिएटर में यह फ़िल्म लगातार कई वर्षों तक चलती रही, जो इसकी अपार लोकप्रियता का प्रमाण है। ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ ने न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी हिंदी सिनेमा को एक नई पहचान दी।
आदित्य चोपड़ा द्वारा निर्देशित इस फ़िल्म का संगीत जतीन-ललित ने दिया, जिसने कई सदाबहार गीतों को जन्म दिया। ‘मेरे ख्वाबों में जो आए’, ‘तुझे देखा तो ये जाना सनम’, और ‘हो गया है तुझको तो प्यार सजना’ जैसे गाने आज भी लोगों के दिलों में बसे हुए हैं।
अंततः, ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ भारतीय सिनेमा की उन गिनी-चुनी फिल्मों में से एक है, जिसने सच्चे प्रेम की परिभाषा को एक नई ऊंचाई दी। यह फ़िल्म न केवल एक मनोरंजन का स्रोत है, बल्कि यह सच्चे प्रेम और समर्पण की अमर गाथा है।
कुछ कुछ होता है (1998)
1998 में रिलीज़ हुई, करण जौहर की निर्देशित “कुछ कुछ होता है” बॉलीवुड की टॉप romantic movies में से एक मानी जाती है। इस फ़िल्म की कहानी तीन प्रमुख पात्रों – राहुल (शाहरुख़ ख़ान), अंजलि (काजोल), और टीना (रानी मुखर्जी) के इर्द-गिर्द घूमती है। फ़िल्म की शुरुआत राहुल और अंजलि की बचपन की दोस्ती से होती है, जो कॉलेज के दिनों में गहरी हो जाती है। हालाँकि, राहुल की मुलाकात टीना से होती है और वह उनसे प्यार करने लगता है, जिससे अंजलि का दिल टूट जाता है।
कहानी में एक महत्वपूर्ण मोड़ आता है जब टीना की मृत्यु हो जाती है और वह अपनी बेटी के माध्यम से राहुल और अंजलि के पुनर्मिलन की योजना बनाती है। राहुल और अंजलि की पुरानी दोस्ती और प्यार फिर से जागृत होता है और फ़िल्म का अंत एक सुखद मोड़ पर होता है। “कुछ कुछ होता है” न केवल दोस्ती और प्यार के नए मापदंड स्थापित करती है, बल्कि यह दर्शकों के दिलों में एक खास जगह बना चुकी है।
इस फ़िल्म ने शाहरुख़ ख़ान, काजोल, और रानी मुखर्जी को न केवल सुपरस्टार बना दिया बल्कि इनकी अभिनय क्षमता को भी साबित किया। फ़िल्म की निर्देशकीय दृष्टि और संगीत ने भी इसे एक यादगार अनुभव बना दिया। “कुछ कुछ होता है” का संगीत और संवाद आज भी लोगों के दिलों में गूंजते हैं, और इसने बॉलीवुड की रोमांटिक फ़िल्मों की श्रेणी में एक नई ऊँचाई पर पहुँचाया।
यह फ़िल्म एक संपूर्ण पैकेज है जिसमें प्यार, दोस्ती, हंसी और आंसू सब कुछ शामिल है। “कुछ कुछ होता है” को बार-बार देखने पर भी इसका जादू कम नहीं होता, और यही कारण है कि यह फ़िल्म बॉलीवुड की टॉप romantic movies में से एक है।
जब वी मेट (2007)
इम्तियाज़ अली द्वारा निर्देशित “जब वी मेट” बॉलीवुड की टॉप romantic movies की सूची में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह फिल्म गीत (करीना कपूर) और आदित्य (शाहिद कपूर) की कहानी है, जो एक ट्रेन यात्रा के दौरान मिलते हैं। गीत का चुलबुला और ज़िंदादिल किरदार आदित्य की उदासी भरी ज़िंदगी में खुशियाँ और ऊर्जा लाता है।
फिल्म की कहानी का प्रारंभ एक ट्रेन यात्रा से होता है, जिसमें गीत अपने परिवार से मिलने के लिए यात्रा कर रही होती है और आदित्य अपने जीवन की परेशानियों से दूर भागने की कोशिश कर रहा होता है। इस यात्रा के दौरान दोनों की मुलाकात होती है और एक अद्वितीय प्रेम कहानी की शुरुआत होती है। गीत की सकारात्मकता और जीवन के प्रति उसका जज्बा आदित्य को प्रभावित करता है और उसकी जिंदगी में नई उम्मीदें भरता है।
“जब वी मेट” की सफलता का बड़ा कारण करीना कपूर और शाहिद कपूर की जोड़ी है। दोनों ने अपने किरदारों को इतनी खूबसूरती से निभाया कि वे दर्शकों के दिलों में बस गए। गीत का किरदार, विशेष रूप से, आज भी लोगों को प्रेरित करता है। उसकी आत्मविश्वास और बिना किसी झिझक के अपने दिल की बात कहने की आदत ने उसे एक यादगार किरदार बना दिया है।
फिल्म ने ना केवल बॉक्स ऑफिस पर सफलता हासिल की, बल्कि आलोचकों की भी प्रशंसा प्राप्त की। इसके संवाद, संगीत, और निर्देशन ने इसे एक क्लासिक रोमांटिक फिल्म बना दिया है, जिसे आज भी लोग बार-बार देखना पसंद करते हैं। “जब वी मेट” अपनी सरलता और सच्चाई के कारण बॉलीवुड की टॉप romantic movies में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है।
बर्फी! (2012)
बर्फी! 2012 की एक प्रसिद्ध बॉलीवुड फिल्म है, जो मर्फी उर्फ़ बर्फी और झिलमिल की अनोखी प्रेम कहानी को दर्शाती है। इस फ़िल्म का निर्देशन अनुराग बसु ने किया है और इसमें रणबीर कपूर और प्रियंका चोपड़ा ने मुख्य किरदार निभाए हैं। बर्फी, जो कि गूंगा और बहरा है, और झिलमिल, जो ऑटिस्टिक है, उनकी प्रेम कहानी को बड़े ही सुंदर और संवेदनशील तरीके से पेश किया गया है।
फ़िल्म की कहानी दार्जिलिंग की पृष्ठभूमि में बुनी गई है, जहाँ बर्फी एक मासूम और खुशमिजाज व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत किया गया है। उसकी ज़िन्दगी में झिलमिल के आने के बाद कई घटनाएँ घटित होती हैं, जो दर्शकों को सच्चे और निश्छल प्रेम की गहराईयों में ले जाती हैं। रणबीर कपूर ने बर्फी के किरदार में अपने अभिनय का लोहा मनवाया है, जबकि प्रियंका चोपड़ा ने झिलमिल के किरदार को बखूबी निभाया है।
बर्फी! बॉलीवुड की टॉप romantic movies में से एक मानी जाती है, जिसमें प्रेम को बिना किसी शारीरिक या मानसिक अवरोध के दिखाया गया है। फिल्म के गीत और संगीत भी बहुत ही मधुर और भावुक हैं, जो प्रेम की भावना को और भी गहरा बनाते हैं।
फिल्म बर्फी! ने अपने संजीदा और संवेदनशील दृष्टिकोण के कारण कई पुरस्कार भी जीते हैं। इस फ़िल्म ने प्रेम के विभिन्न रंगों को बखूबी चित्रित किया है, और दर्शकों को यह संदेश दिया है कि सच्चा प्रेम किसी भी शारीरिक या मानसिक स्थिति से परे होता है।
मोहब्बतें (2000)
साल 2000 में आई फिल्म ‘मोहब्बतें’ बॉलीवुड की टॉप romantic movies में से एक मानी जाती है। आदित्य चोपड़ा के निर्देशन में बनी इस फ़िल्म ने प्रेम और अनुशासन के बीच संघर्ष को शानदार तरीके से पेश किया। इस फिल्म की कहानी गुरुकुल नामक एक प्रतिष्ठित विद्यालय के तीन छात्रों की प्रेम कहानियों के इर्द-गिर्द घूमती है, जिन्हें उनके संगीत अध्यापक राज आर्यन, शाहरुख़ ख़ान द्वारा निभाए गए किरदार, प्रोत्साहित करते हैं।
गुरुकुल के प्रधानाचार्य, नारायण शंकर का किरदार अमिताभ बच्चन ने निभाया है, जो अनुशासन और कठोर नियमों के हिमायती हैं। नारायण शंकर का मानना है कि प्रेम और भावनाएं जीवन में अनुशासन और सफलता के रास्ते में बाधा बनती हैं। दूसरी ओर, राज आर्यन का मानना है कि सच्चा प्रेम जीवन को अर्थ और दिशा देता है। इन दो विपरीत विचारधाराओं के बीच टकराव ने फिल्म को गहराई और रोमांचक बना दिया है।
मोहब्बतें की संगीतमयता और गीत-संगीत ने भी इसे बॉलीवुड की टॉप romantic movies में शामिल किया है। जितने भी गाने हैं, वे दर्शकों को प्रेम के विभिन्न पहलुओं से रूबरू कराते हैं और कहानी को आगे बढ़ाते हैं। ‘हमको हमी से चुरा लो’, ‘आँखें खुली हो या हो बंद’ और ‘पहला नशा’ जैसे गीत आज भी श्रोताओं के बीच लोकप्रिय हैं।
फिल्म की सिनेमाटोग्राफी, सेट डिजाइन, और कास्टिंग ने भी इसे एक यादगार अनुभव बनाया है। अमिताभ बच्चन और शाहरुख़ ख़ान की अदाकारी ने फिल्म को एक अलग ही ऊँचाई पर पहुंचा दिया। वहीं, उधित नारायण और लता मंगेशकर द्वारा गाए गए गानों ने भी इसे एक संगीत प्रेमियों के लिए खास फिल्म बना दिया।
हम दिल दे चुके सनम (1999)
संजय लीला भंसाली की निर्देशन में बनी “हम दिल दे चुके सनम” (1999) बॉलीवुड की टॉप romantic movies में से एक है। यह फ़िल्म एक त्रिकोणीय प्रेम कहानी है जिसमें नंदिनी (ऐश्वर्या राय), समीर (सलमान ख़ान), और वनराज (अजय देवगन) मुख्य पात्र हैं। फ़िल्म की कहानी नंदिनी और समीर के प्रेम से शुरू होती है, जो बाद में अलग हो जाते हैं। जब वनराज नंदिनी के जीवन में आता है, तो वह धीरे-धीरे अपने सच्चे प्रेम से नंदिनी का दिल जीत लेता है।
“हम दिल दे चुके सनम” ने अपने अद्वितीय कथानक और संजीदा पात्रों के माध्यम से दर्शकों के दिलों को छू लिया। ऐश्वर्या राय और सलमान ख़ान की रसायनिकता और अजय देवगन की संजीदा भूमिका ने फ़िल्म को और भी खास बना दिया। संजय लीला भंसाली का निर्देशन और उनके द्वारा प्रस्तुत की गई भव्य दृश्यावली ने इस फ़िल्म को एक अलग ही स्तर पर पहुँचा दिया।
फ़िल्म का संगीत भी बेहद लोकप्रिय हुआ, जिसमें इस्माइल दरबार के संगीत निर्देशन में “चांद छुपा बादल में”, “तड़प तड़प के”, और “आंखों की गुस्ताखियाँ” जैसे गाने आज भी लोगों की जुबां पर हैं। इन गानों ने फ़िल्म की रोमांटिक थीम को और भी गहरा बना दिया।
फ़िल्म की कहानी प्रेम, बलिदान, और सच्चाई के इर्द-गिर्द घूमती है। नंदिनी और समीर की अधूरी प्रेम कहानी और वनराज का नंदिनी के प्रति निस्वार्थ प्रेम दर्शकों को एक अनोखा अनुभव प्रदान करता है। “हम दिल दे चुके सनम” न केवल उस समय की बल्कि आज भी बॉलीवुड की शीर्ष रोमांटिक फिल्मों में से एक मानी जाती है।
वीर-ज़ारा (2004)
2004 में रिलीज़ हुई “वीर-ज़ारा” बॉलीवुड की टॉप romantic movies में से एक है, जो भारतीय वायु सेना के पायलट वीर प्रताप सिंह और पाकिस्तानी लड़की ज़ारा हयात ख़ान की अमर प्रेम कहानी को बयान करती है। यश चोपड़ा के निर्देशन में बनी इस फिल्म में शाहरुख़ ख़ान ने वीर और प्रीति ज़िंटा ने ज़ारा की मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं। यह फिल्म सिर्फ एक प्रेम कहानी नहीं है, बल्कि यह प्यार की सीमाओं को पार करने और सांप्रदायिक एवं राष्ट्रीय बाधाओं को तोड़ने की कहानी है।
फिल्म की शुरुआत वीर प्रताप सिंह और ज़ारा हयात ख़ान की मुलाकात से होती है, जो एक दुर्घटना के दौरान होती है। वीर, ज़ारा की मदद करता है और उसे सुरक्षित उसके घर पहुंचाता है। इस यात्रा के दौरान, दोनों के बीच गहरा संबंध विकसित होता है। हालांकि, ज़ारा की पहले से सगाई हो चुकी होती है, और वह वापस पाकिस्तान लौट जाती है।
वीर-ज़ारा की कहानी में मुख्य मोड़ तब आता है जब वीर, ज़ारा से मिलने पाकिस्तान जाता है और उसे गिरफ्तार कर लिया जाता है। वीर को भारतीय जासूस मानकर जेल में डाल दिया जाता है, जहां वह कई सालों तक बंद रहता है। इस बीच, ज़ारा अपनी सगाई तोड़कर वीर का इंतजार करने का निर्णय लेती है।
फिल्म में प्रीतम की संगीत और जावेद अख्तर के गीतों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जो दर्शकों को भावनात्मक रूप से जोड़ते हैं। “तेरे लिए” और “मैं यहाँ हूँ” जैसे गाने आज भी लोगों के दिलों में बसे हुए हैं।
वीर-ज़ारा की कहानी केवल प्रेम की नहीं, बल्कि बलिदान, समर्पण और विश्वास की भी है। यह फिल्म दर्शकों को यह संदेश देती है कि सच्चा प्यार किसी भी सीमा को पार कर सकता है। इस प्रकार, “वीर-ज़ारा” निस्संदेह बॉलीवुड की टॉप romantic movies में से एक मानी जाती है।
रब ने बना दी जोड़ी (2008)
आदित्य चोपड़ा द्वारा निर्देशित “रब ने बना दी जोड़ी” (2008) बॉलीवुड की शीर्ष रोमांटिक फ़िल्मों में से एक है, जो एक साधारण आदमी सुरिंदर सहनी और उसकी पत्नी तानी की अनोखी प्रेम कहानी को बयां करती है। इस फ़िल्म में शाहरुख़ ख़ान और अनुष्का शर्मा ने मुख्य भूमिकाएँ निभाई हैं, जिनकी केमिस्ट्री ने दर्शकों के दिलों में गहरी छाप छोड़ी है।
कहानी की शुरुआत में सुरिंदर सहनी, जो एक साधारण और ईमानदार व्यक्ति है, अपनी पत्नी तानी के प्रति अपना सच्चा प्यार जताने के लिए एक नए अवतार में आता है। तानी, जो अपने पिछले प्रेमी की मृत्यु के बाद टूट चुकी है, अपने नए पति सुरिंदर से कोई खास लगाव महसूस नहीं करती। हालांकि, सुरिंदर अपने प्यार को जीतने के लिए राज के रूप में एक नया अवतार अपनाता है।
राज एक मस्तमौला और आकर्षक व्यक्ति है, जो तानी के दिल में जगह बनाने की कोशिश करता है। यह दोहरी पहचान की कहानी न केवल रोमांस बल्कि हास्य और भावनाओं से भी भरपूर है। शाहरुख़ ख़ान ने सुरिंदर और राज दोनों के किरदारों को बखूबी निभाया है, जिससे यह फ़िल्म और भी यादगार बन गई है।
फ़िल्म का संगीत भी इसकी एक खासियत है। “तेनु लेके” और “हौले हौले” जैसे गाने दर्शकों के बीच काफी लोकप्रिय हुए और फ़िल्म की रोमांटिक थीम को बखूबी उभारा।
कुल मिलाकर, “रब ने बना दी जोड़ी” न केवल एक मनोरंजक प्रेम कहानी है, बल्कि यह बॉलीवुड की टॉप romantic movies की सूची में भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह फ़िल्म प्यार के विभिन्न पहलुओं और उसे पाने के संघर्ष को खूबसूरती से प्रस्तुत करती है।
एक मैं और एक तू (2012)
शाकुन बत्रा द्वारा निर्देशित ‘एक मैं और एक तू’ एक ऐसी फिल्म है जो प्रेम और दोस्ती के बीच की बारीकियों को खूबसूरती से उकेरती है। इस फिल्म में इमरान ख़ान और करीना कपूर ने मुख्य भूमिकाएँ निभाई हैं। कहानी राहुल (इमरान ख़ान) और रियाना (करीना कपूर) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक दूसरे से अनजाने में शादी कर लेते हैं। इस अप्रत्याशित घटना के बाद, दोनों एक नई यात्रा पर निकल पड़ते हैं, जो उनकी दोस्ती को मजबूत करती है और धीरे-धीरे प्यार की ओर ले जाती है।
फिल्म का सेटअप लास वेगास में किया गया है, जो कहानी को एक आधुनिक और हल्का-फुल्का माहौल प्रदान करता है। राहुल एक अनुशासित और नियंत्रित जीवन जीने वाला व्यक्ति है, जबकि रियाना एक स्वतंत्र और मस्तमौला व्यक्तित्व की धनी है। दोनों के बीच की यह विपरीतता ही फिल्म की जान है, जो दर्शकों को अंत तक बांधे रखती है।
‘एक मैं और एक तू’ की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह बॉलीवुड की कई अन्य रोमांटिक फिल्मों की तरह न होकर, एक अलग ही ढंग से प्रेम को परिभाषित करती है। यह फिल्म दर्शाती है कि प्यार सिर्फ एक भावनात्मक संबंध नहीं है, बल्कि एक गहरा और सजीव रिश्ता है, जो दोस्ती की नींव पर टिका होता है।
फिल्म के संगीत ने भी दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई है। अमित त्रिवेदी के संगीत निर्देशन में बने गाने कहानी को और भी जीवंत बनाते हैं। ‘आंटी जी’, ‘गुब्बारा’ और ‘एक मैं और एक तू’ जैसे गाने फिल्म की कहानी में चार चांद लगाते हैं।
सब मिलाकर, ‘एक मैं और एक तू’ बॉलीवुड की टॉप romantic movies में से एक है, जो अपने अनोखे प्लॉट और मजबूत किरदारों के कारण दिलों में एक खास जगह बना चुकी है। यह फिल्म निश्चित रूप से अमर प्रेम कथाओं में गिनी जाएगी।
ये जवानी है दीवानी (2013)
अयान मुखर्जी द्वारा निर्देशित, “ये जवानी है दीवानी” एक बेहद सफल बॉलीवुड की टॉप romantic movies में से एक है, जो दोस्ती और प्यार के विभिन्न पहलुओं को खूबसूरती से दर्शाती है। इस फ़िल्म में रणबीर कपूर और दीपिका पादुकोण ने मुख्य भूमिकाएँ निभाई हैं, जिन्होंने बनी और नैना के किरदारों को जीवंत किया है।
कहानी की शुरुआत नैना (दीपिका पादुकोण) से होती है, जो एक मेधावी और अंतर्मुखी मेडिकल स्टूडेंट है। वह अपने बचपन के दोस्त अवि (आदित्य रॉय कपूर) और अदिति (कल्कि कोचलिन) के साथ एक यात्रा पर जाती है, जहाँ उसकी मुलाकात बनी (रणबीर कपूर) से होती है। बनी एक स्वतंत्र और महत्वाकांक्षी युवक है, जो अपने सपनों की तलाश में यात्रा करना चाहता है।
यात्रा के दौरान बनी और नैना के बीच एक अनोखा संबंध बनता है, लेकिन बनी के सपनों को पूरा करने की चाहत और नैना की स्थिर जीवन की चाहत के कारण उनके रास्ते अलग हो जाते हैं। कई सालों बाद, एक शादी में वे फिर से मिलते हैं और उनके बीच की पुरानी भावनाएँ फिर से जाग उठती हैं।
फ़िल्म का मुख्य आकर्षण इसका संगीत और दृश्य हैं, जो दर्शकों को भावुक कर देते हैं। “बलम पिचकारी”, “कबीरा”, और “दिल्लीवाली गर्लफ्रेंड” जैसे गाने फ़िल्म की कहानी को और भी जीवंत बना देते हैं।
“ये जवानी है दीवानी” केवल एक प्रेम कहानी नहीं है, बल्कि यह दोस्ती, सपनों और जीवन की प्राथमिकताओं के बीच की जद्दोजहद को भी दर्शाती है। यह फ़िल्म दर्शकों को सिखाती है कि प्यार और दोस्ती में संतुलन कैसे बनाए रखें और जीवन को पूरी तरह से जीने का महत्व क्या है।